कोतमा पुलिस को मिली बड़ी सफलता, 45 लाख की साइबर ठगी करने वाला गिरोह बेनकाब
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कोतमा- पुलिस ने पुलिस अधीक्षक मोती उर रहमान के निर्देशन में एक बड़ी कार्यवाही करते हुए 45 लाख की साइबर ठगी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है। गिरोह का सरगना आरोपी सौरभ शर्मा (32 वर्ष), निवासी गिरधर कॉलोनी, देहात थाना को गिरफ्तार कर कोतमा लाया गया। पुलिस ने उसकी निशानदेही पर लैपटॉप, मोबाइल और ठगी से जुड़े दस्तावेज जब्त किए हैं।
सौरभ शर्मा को विदिशा जिले से गिरफ्तार किया गया। जांच में सामने आया कि वह बीते 8 वर्षों से एक सुनियोजित योजना के तहत लोगों से खुद को सीबीआई अधिकारी, जज, पुलिस अफसर और हाईकोर्ट एडवोकेट बताकर ठगी करता आ रहा था। आरोपी और उसके गिरोह ने व्यापारी आशीष ताम्रकार से 45 लाख रुपये अलग-अलग खातों में ट्रांसफर करवाए।
गिरोह में शामिल अन्य आरोपियों की तलाश जारी:
फरार आरोपियों में लकी कुमावत (सतवास, जिला खंडवा), ठाकुर सहित अन्य शामिल हैं। मुख्य सरगना महेन्द्र शर्मा (26 वर्ष) की वर्ष 2022 में हत्या कर दी गई थी। वहीं उसका साथी रवि डेहरिया की भी दो माह पूर्व सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई।
ठगी का तरीका:
गिरोह भोपाल और विदिशा में फर्जी कंपनियां खोलकर आरबी ट्रेडर्स, तिरुपति फिनटेक आदि नामों से साइबर ठगी को अंजाम देता था। यह लोग अलग-अलग मोबाइल नंबरों से खुद को अधिकारी बताकर पीड़ित को डराते थे और डिजिटल अरेस्ट के नाम पर पैसे मांगते थे। पुलिस की जांच में पता चला कि गिरोह ने नीमच थाना क्षेत्र के एक व्यापारी को हवाला के नाम पर 23 लाख रुपये देने को मजबूर किया और बाद में 45 लाख रुपये तक की ठगी कर ली।
आरोपियों पर दर्ज मामले:
सौरभ शर्मा पर धारा 419, 420, 34 IPC के तहत केस दर्ज किया गया है और कोर्ट से 4 दिन की रिमांड पर लेकर पूछताछ की जा रही है। आरोपी पर देश के विभिन्न जिलों में 30 से अधिक गंभीर आपराधिक मामले जैसे हत्या, लूट, ठगी, जानलेवा हमला आदि दर्ज हैं।
पुलिस की टीम और नेतृत्व:
इस कार्रवाई का संचालन एसपी इसरार मंसूरी, एसडीओपी आरती शाक्य के मार्गदर्शन और थाना प्रभारी रत्नांबर शुक्ला के नेतृत्व में हुआ। पूरी कार्रवाई की मॉनिटरिंग पुलिस अधीक्षक मोती उर रहमान ने स्वयं करते हुए निर्देश दिए। कार्रवाई में लालजी श्रीवास्तव, रामखेलावन यादव, मनोज उपाध्याय, राजेन्द्र अहिरवार, पंकज मिश्रा समेत पूरी टीम शामिल रही।
निष्कर्ष:
कोतमा पुलिस की यह कार्यवाही साइबर अपराध के विरुद्ध एक बड़ी सफलता है। इसने यह स्पष्ट कर दिया है कि तकनीकी अपराधों में लिप्त अपराधियों को पकड़ने के लिए पुलिस पूरी तरह मुस्तैद है और आने वाले समय में भी ऐसे अपराधियों पर कड़ा शिकंजा कसा जाएगा।
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