सूचना अधिकार अधिनियम की उड़ रही धज्जियां, प्रथम अपील अधिकारी के रवैये पर उठे सवाल
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संभाग ब्यूरो दुर्गा गुप्ता
मनेंद्रगढ़ जनपद पंचायत में जवाबदेही का अभाव, राज्य सूचना आयोग तक पहुंच रहे मामले
मनेंद्रगढ़ (एमसीबी)। सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के प्रावधानों को दरकिनार करने का मामला मनेंद्रगढ़ जनपद पंचायत में सामने आया है। जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी से लेकर जन सूचना अधिकारी तक सूचना उपलब्ध कराने में लापरवाही बरत रहे हैं। वहीं, प्रथम अपील अधिकारी भी अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं कर रहे, जिससे आवेदकों को राज्य सूचना आयोग का रुख करने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
सूचना के अधिकार का हो रहा उल्लंघन
आरटीआई कार्यकर्ताओं का कहना है कि सूचना के अधिकार अधिनियम पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए बना था, लेकिन मनेंद्रगढ़ जनपद पंचायत में इस अधिनियम का पालन नहीं हो रहा। कई मामलों में सूचना देने में देरी की जा रही है, तो कई मामलों में जानकारी ही नहीं दी जा रही।
प्रथम अपील अधिकारी के रवैये से आवेदक परेशान
आरटीआई कार्यकर्ता अशोक श्रीवास्तव ने बताया कि जब सूचना समय पर नहीं मिलती, तो आवेदक प्रथम अपील अधिकारी के पास अपील करते हैं। लेकिन यहां भी सुनवाई में देरी हो रही है, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल खड़े हो रहे हैं। उन्होंने कहा, “सूचना अधिकार अधिनियम में पारदर्शिता के बावजूद सूचना देने में देरी क्यों हो रही है?”
राज्य सूचना आयोग तक पहुंच रहे मामले
सूचना प्राप्त न होने के चलते कई आवेदकों को मजबूरन राज्य सूचना आयोग जाना पड़ रहा है। आयोग में लंबित मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिससे यह साफ है कि प्रथम अपील अधिकारी अपने दायित्वों का सही तरीके से निर्वहन नहीं कर रहे।
प्रथम अपील अधिकारी की जिम्मेदारी क्या होती है?
सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत प्रथम अपील अधिकारी की जिम्मेदारी होती है कि वह अपीलकर्ता की शिकायतों की निष्पक्ष सुनवाई करें और यदि सूचना देने में कोई लापरवाही हुई है, तो संबंधित अधिकारी को निर्देश दें। लेकिन मनेंद्रगढ़ जनपद पंचायत में यह प्रक्रिया सिर्फ कागजों तक सीमित नजर आ रही है।
आरटीआई कार्यकर्ताओं ने की कार्रवाई की मांग
आरटीआई कार्यकर्ताओं ने प्रशासन से मांग की है कि सूचना अधिकार अधिनियम के सही क्रियान्वयन के लिए कठोर कदम उठाए जाएं। साथ ही, प्रथम अपील अधिकारी को उनकी जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक किया जाए, ताकि पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके।