September 3, 2025

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एकेएस विश्वविद्यालय, सतना के प्रबंधन अध्ययन संकाय में सहायक प्राध्यापक प्रो.अनुराग सिंह परिहार एवं महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय, सतना के व्यवसाय प्रबंधन विभाग के प्रो. सी.पी. गुजर द्वारा संयुक्त रूप से लिखित शोध पत्र प्रकाशित।

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सतना। 14 अगस्त। इंपैक्ट ऑफ़ आरर्बीआई डिजिटल करेंसी ऑन फाइनेंशियल इंक्लूजन और कैशलेस इकोनॉमी प्रतिष्ठित इंटरनेशनल जर्नल ऑफ रिसर्च इन कॉमर्स एंड मैनेजमेंट स्टडीज़ में प्रकाशित हुआ है। यह शोध भारत में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा शुरू किए गए सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी जिसे आमतौर पर “डिजिटल रुपया” कहा जाता है, के प्रभावों पर केंद्रित है।
शोध में बताया गया है कि डिजिटल रुपया भारत के वित्तीय ढांचे में एक बड़ा परिवर्तन है, जिसका उद्देश्य वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना और नकदरहित अर्थव्यवस्था की ओर संक्रमण को तेज करना है। सर्वेक्षण और द्वितीयक आंकड़ों पर आधारित इस अध्ययन में पाया गया कि 72% उत्तरदाता के बारे में जानते हैं, लेकिन केवल 14.67% ही इसकी विशेषताओं को पूरी तरह समझते हैं। जागरूकता का प्रमुख स्रोत समाचार माध्यम और सोशल मीडिया हैं, जबकि आधिकारिक सरकारी वेबसाइटों से जानकारी पाने वालों की संख्या मात्र 8% है।
शोध में कई चुनौतियों की पहचान की गई है, जिनमें सीमित डिजिटल साक्षरता, साइबर अपराध का भय, डेटा गोपनीयता को लेकर चिंताएँ, और तकनीकी निर्भरता शामिल हैं। विशेषकर ग्रामीण और अविकसित क्षेत्रों में इन चुनौतियों का असर ज्यादा है। इसके बावजूद, डिजिटल रुपया नकद पर निर्भरता घटाने, सुरक्षित और सरकारी समर्थित भुगतान विकल्प उपलब्ध कराने, तथा वित्तीय पहुँच में सुधार लाने की अपार क्षमता रखता है।
अध्ययन में यह भी पाया गया कि 63.33% लोगों ने जागरूकता की कमी को सबसे बड़ी बाधा बताया, जबकि 60% उत्तरदाता हैकिंग और धन हानि के खतरे से चिंतित हैं। औसतन 3.20 अंक (5 में से) के साथ लोग डिजिटल रुपये की सुरक्षा को लेकर तटस्थ से हल्का सकारात्मक रुख रखते हैं।
शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया है कि डिजिटल रुपये को सफल बनाने के लिए लक्षित जागरूकता अभियान चलाए जाएँ, साइबर सुरक्षा को मजबूत किया जाए, कम लागत और आसान तकनीक के माध्यम से ग्रामीण व पिछड़े क्षेत्रों तक पहुँच बनाई जाए, और उपभोक्ताओं के लिए कानूनी व सुरक्षा संबंधी ढाँचा तैयार किया जाए। साथ ही, शुरुआती उपयोगकर्ताओं को प्रोत्साहन देने के लिए कैशबैक, छूट या कर लाभ जैसे उपाय अपनाए जा सकते हैं।
यह शोध नीति-निर्माताओं और वित्तीय संस्थानों के लिए महत्वपूर्ण दिशानिर्देश प्रदान करता है और बताता है कि यदि सही रणनीति अपनाई जाए तो डिजिटल रुपया भारत को एक डिजिटली समावेशी और सशक्त अर्थव्यवस्था की दिशा में अग्रसर कर सकता है।

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