छत्तीसगढ़ में आयुष्मान कार्ड पर इलाज तो हो रहा, लेकिन अस्पतालों को भुगतान न मिलने से गहराया संकट – केंद्र और राज्य दोनों में बीजेपी की सरकार के बावजूद लापरवाही क्यों?
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रायपुर |25/08/25
गरीबों और जरूरतमंद परिवारों को 5 लाख रुपये तक निःशुल्क इलाज की सुविधा देने के उद्देश्य से शुरू की गई आयुष्मान भारत योजना (प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना) का हाल छत्तीसगढ़ में बदहाल है। राज्यभर के अस्पतालों ने खुलासा किया है कि उन्हें लंबे समय से इलाज का भुगतान नहीं मिल रहा है। इसका नतीजा यह है कि कई अस्पताल आर्थिक संकट में फंस गए हैं और हजारों मरीजों के इलाज पर खतरा मंडरा रहा है।
अस्पतालों की वेदना – “मुफ्त इलाज का बोझ हम कब तक उठाएँ?”
निजी और कई सरकारी अस्पतालों का कहना है कि—
- महीनों से करोड़ों रुपये के क्लेम लंबित हैं।
- स्वास्थ्य विभाग से भुगतान न मिलने पर दवा, उपकरण और स्टाफ का वेतन तक प्रभावित हो रहा है।
- कई अस्पताल अब आयुष्मान कार्ड धारकों को भर्ती करने से भी बच रहे हैं।
एक बड़े निजी अस्पताल के संचालक ने कहा –
“गरीब मरीज को हम मुफ्त में भर्ती तो कर रहे हैं, लेकिन सरकार से भुगतान न मिलने पर अस्पताल खुद आईसीयू में पहुंच चुका है।”
मरीजों पर संकट
- कई जगह आयुष्मान कार्ड दिखाने पर सिर्फ प्राथमिक इलाज देकर मरीजों को लौटा दिया जा रहा है।
- गंभीर मरीजों को यह कहकर भर्ती करने से मना कर दिया जाता है कि “सरकारी भुगतान अटका हुआ है।”
- नतीजा—गरीब लोग या तो कर्ज लेकर इलाज करा रहे हैं या फिर इलाज के अभाव में दम तोड़ने पर मजबूर हैं।
भ्रष्टाचार और फाइलों का खेल
स्वास्थ्य विभाग के भीतर क्लेम पास करने में बड़े पैमाने पर देरी और लेटलतीफी हो रही है।
- फाइलें महीनों तक दबाकर रखी जाती हैं।
- अस्पताल संचालकों का आरोप है कि बिना “ऊपर से अनुमति” के फाइलें आगे नहीं बढ़तीं।
- यह योजना अब गरीबों की सेवा से ज्यादा भ्रष्टाचार का जरिया बनती जा रही है।
सबसे बड़ा सवाल – जब केंद्र और राज्य दोनों जगह बीजेपी की सरकार है तो संकट क्यों?
यहां सबसे गंभीर सवाल उठता है—
- जब केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार और राज्य में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की बीजेपी सरकार है, तो आखिर अस्पतालों का भुगतान अटका क्यों पड़ा है?
- क्या दोनों स्तर की सरकारें एक-दूसरे पर जिम्मेदारी टाल रही हैं?
- जनता पूछ रही है: अगर “डबल इंजन की सरकार” भी गरीबों को राहत नहीं दिला पा रही, तो फिर किससे उम्मीद करें?
जनता का आक्रोश
लोग खुलकर सवाल उठा रहे हैं—
- “आयुष्मान कार्ड सिर्फ दिखाने का सामान बन गया है।”
- “इलाज का वादा किया, लेकिन अस्पताल इलाज करने से पीछे हट रहे हैं।”
- “अगर भुगतान नहीं करना था, तो जनता को यह सपना क्यों दिखाया गया?”
निष्कर्ष
आयुष्मान भारत योजना का सपना गरीबों को स्वास्थ्य सुरक्षा देने का था, लेकिन छत्तीसगढ़ में यह सपना भ्रष्टाचार, सुस्ती और सरकार की उदासीनता में दम तोड़ रहा है।
अगर केंद्र और राज्य दोनों की बीजेपी सरकार मिलकर भी इस संकट का समाधान नहीं कर पा रही हैं, तो यह सीधे तौर पर प्रशासनिक विफलता है।
अब सवाल यही है कि क्या गरीब जनता का जीवन सत्ता के वादों और फाइलों में उलझकर यूं ही खत्म होता रहेगा?
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