September 3, 2025

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*छिंदवाड़ा से उठी हुंकार!**जीतू पटवारी बने मप्र की किसान राजनीति के सबसे मजबूत स्तंभ*

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मध्य प्रदेश की राजनीति में किसान आंदोलन और किसान हितों को लेकर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं। छिंदवाड़ा की धरती से कांग्रेस द्वारा छेड़ा गया *“किसान बचाओ आंदोलन”* अब प्रदेश की राजनीति में एक निर्णायक पड़ाव साबित हो रहा है। यह आंदोलन भाजपा की मोहन सरकार के लिए चुनौती बन गया है, साथ ही किसानों के बीच कांग्रेस और स्वयं पटवारी की लोकप्रियता को भी नए आयाम दे रहा है।

*न्यूनतम समर्थन मूल्य की नई मांग!*
छिंदवाड़ा से आयोजित बड़े किसान सम्मेलन में जीतू पटवारी ने मोहन सरकार पर सीधा हमला करते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की नई नीति लागू करने की मांग रखी। उन्होंने कहा कि किसानों को उनकी मेहनत का उचित मूल्य नहीं मिल रहा और भाजपा सरकार उनके हक़ की अनदेखी कर रही है।

*पटवारी द्वारा MSP की मांग*

*गेहूं : ₹4000 प्रति क्विंटल*
*धान : ₹3500 प्रति क्विंटल*
*मक्का : ₹3000 प्रति क्विंटल*
*सोयाबीन : ₹6000 प्रति क्विंटल*

_इसके साथ ही जीतू पटवारी ने किसानों को प्रत्येक फसल की बुवाई पर ₹10,000 का अग्रिम भुगतान किए जाने की मांग भी रखी। उनका कहना है कि बीज और खाद की बढ़ती कीमतों के कारण किसान लगातार घाटे में जा रहे हैं और सरकार का कर्तव्य है कि वह खेती को घाटे का सौदा न बनने दे।_

*किसान राजनीति में पटवारी की नई पहचान*

जीतू पटवारी का किसान संघर्ष कोई नया नहीं है। अपने राजनीतिक जीवन में उन्होंने सबसे अधिक सफल आंदोलन किसानों के मुद्दों को लेकर किए हैं। पहले जब उन्होंने गेहूं का समर्थन मूल्य ₹3000 प्रति क्विंटल तय करने की मांग रखी थी, तब भाजपा नेताओं ने जमकर विरोध किया था, लेकिन उसी भाजपा सरकार को बाद में दबाव में आकर समर्थन मूल्य बढ़ाना पड़ा। यही कहानी धान और सोयाबीन की खरीदी में भी दोहराई गई।

पटवारी की रणनीति हमेशा से साफ रही है, किसानों को संगठित करना, उनके वास्तविक मुद्दों को उठाना और सत्ता को मजबूर करना कि वह नीति बदले। इसी कारण आज उन्हें प्रदेश का सबसे बड़ा और विश्वसनीय किसान नेता माना जाने लगा है।

*संघर्ष से भरी पटवारी की नई परिभाषा*

जीतू पटवारी ने किसानों के मुद्दों पर लगातार संघर्ष किया है। उनके प्रमुख आंदोलनों को वर्षवार इस प्रकार समझा जा सकता है :

• *2014-15 :* खाद और बीज की कालाबाज़ारी के खिलाफ इंदौर व आसपास जिलों में धरना-प्रदर्शन, जिससे सरकार को आपूर्ति बढ़ानी पड़ी।

• *2016 :* मंडियों में किसानों की उपज का भुगतान समय पर न होने और दलालों की मनमानी के खिलाफ आंदोलन।

• *2017 :* मंदसौर किसान आंदोलन के बाद पटवारी ने प्रदेशभर में किसानों के मुआवज़े और फसल बीमा की खामियों पर आंदोलन खड़ा किया।

• *2018 :* कांग्रेस की सरकार आने से पहले उन्होंने एमएसपी में बढ़ोतरी और किसानों की कर्जमाफी को लेकर जनजागरण अभियान चलाया।

• *2020 :* कोविड काल में किसानों को उपज का पूरा दाम न मिलने पर कई जिलों में सड़क पर उतरकर विरोध किया।

• *2022 :* गेहूं का समर्थन मूल्य ₹3000 करने की मांग को लेकर बड़े स्तर पर आंदोलन। भाजपा ने विरोध किया, लेकिन बाद में गेहूं की सरकारी दर बढ़ानी पड़ी।

• *2023-24 :* धान और सोयाबीन के समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी की मांग को लेकर राज्य भर में प्रदर्शन, जिससे भाजपा सरकार दबाव में आई।

• *2025 :* छिंदवाड़ा से “किसान बचाओ आंदोलन” की शुरुआत कर धान, गेहूं, मक्का और सोयाबीन के लिए नए समर्थन मूल्य की घोषणा तथा अग्रिम भुगतान का प्रस्ताव रखकर किसानों में नई उम्मीद जगाई।

इन आंदोलनों ने पटवारी को जमीनी नेता के रूप में पहचान दिलाई और उन्हें प्रदेश के किसानों का सबसे भरोसेमंद साथी बना दिया।

*किसानों के प्रिय नेता क्यों बने पटवारी?*
पटवारी की लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारण यह है कि वे केवल घोषणाएं नहीं करते, संघर्ष को सड़क पर उतारते हैं। उनके आंदोलनों में शामिल किसानों की गवाही है कि उन्होंने कभी पीछे हटना नहीं सीखा। यही वजह है कि भाजपा का समर्थन करने वाले कई किसान भी आज खुलकर पटवारी की तारीफ़ करते हैं।

किसान आंदोलनों का उनका इतिहास बताता है कि उन्होंने हर बड़े संघर्ष में किसानों की आवाज़ बुलंद की! चाहे वह मंडियों में दलालों के खिलाफ लड़ाई हो, खाद-बीज की कमी का विरोध हो या ओलावृष्टि और बाढ़ से प्रभावित किसानों के लिए मुआवज़े की मांग!

*छिंदवाड़ा से जीतू की नई हुंकार!*

छिंदवाड़ा से उठी यह नई हुंकार किसानों के लिए राहत का संदेश है। पटवारी की यह घोषणा 2028 के विधानसभा चुनाव तक कांग्रेस की स्थाई रणनीति का हिस्सा भी है। यह आंदोलन भाजपा सरकार पर सीधा दबाव भी बनाएगा, क्योंकि किसानों का असंतोष अब खुलकर सामने आने लगा है। बीज और खाद की बढ़ती कीमतों, महंगाई और न्यूनतम समर्थन मूल्य के वादों से मुकरने के कारण किसानों की नाराज़गी बढ़ रही है। पटवारी का यह कदम किसानों का भरोसा जीत रहा है, कांग्रेस की किसान समर्थक पार्टी की छवि को भी मज़बूत कर रहा है!

छिंदवाड़ा से शुरू हुआ कांग्रेस का “किसान बचाओ आंदोलन” किसानों के हक़ की लड़ाई है,  यह मध्य प्रदेश की राजनीति में एक नए समीकरण की नींव भी है। जीतू पटवारी की आक्रामक रणनीति और किसान आंदोलनों में उनकी सफलताओं ने उन्हें प्रदेश के सबसे बड़े किसान नेता के रूप में स्थापित कर दिया है।

माना जा रहा है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की इस नई मांग से कांग्रेस की लोकप्रियता किसानों के बीच और तेज़ी से बढ़ेगी और पटवारी का संघर्ष भाजपा की सरकार के लिए आने वाले समय में और मुश्किलें खड़ी करेगा।

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