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March 14, 2025

Udghosh Samay News

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मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ वर्मा के कुशल मार्गदर्शन में मिर्गी रोगियों के लिये निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर संपन्न ।।।

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शिविर में 124 मरीजों का किया गया इलाज

मंगलवार 11 मार्च को जिला स्वास्थ्य समिति अनूपपुर एवं जन स्वास्थ्य सहयोग गनियारी के तत्वाधान में जिला चिकित्सालय के स्व सहायता भवन में एम्स नई दिल्ली की न्यूरो साइंस प्रोफेसर एवं प्रख्यात मिर्गी रोग विशेषज्ञ डॉ. ममता भूषण सिंह के द्वारा 124 मिर्गी मरीजों का इलाज किया गया। स्वास्थ्य शिविर में मरीजों को 01 माह की दवाई भी प्रदान करते हुए नियमित दवाई खाने की सलाह दी गई। डॉक्टर ममता भूषण सिंह ने उपचार के दौरान  मरीजों को बताया कि मिर्गी रोगियों  को दवाई लगातार  सही डोज के साथ लेते रहना है तभी इस रोग को ठीक किया जा सकता है। मरीजों को इलाज के दौरान विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि हर दौरा या झटके मिर्गी नहीं हो सकते, इसकी पहचान के लिए यदि अच्छे से हिस्ट्री ली जाए तो इसे आसानी से पहचाना जा सकता है। इसमें कई महंगे जांच जैसे सीटी स्कैन या ई.ए.जी, आई. एम. आर जैसे महंगी जांचों की आवश्यकता नहीं होती है, सभी झटके खतरनाक होते हैं इसलिए इसमें विशेष सावधानी भी रखते हुए मिर्गी रोगियों को लंबे समय तक बिना ड्रॉप किए दवाईयां जारी रखना होगा।

मिर्गी रोगियों के निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर में अनूपपुर जिले के साथ साथ शहडोल, उमरिया, डिंडोरी, छत्तीसगढ़ से लोग इलाज कराने पहुंचे। शिविर में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आर के वर्मा , सिविल सर्जन डॉ. एस.बी. अवधिया, शिविर के नोडल डॉ. शिवेंद्र द्विवेदी, डेवलपमेंट पार्टनर जन स्वास्थ्य सहयोग गनियारी के डॉक्टर पंकज तिवारी एवं जिला समन्वयक विनय विश्वकर्मा, जिला चिकित्सालय के डॉ. एन.पी. मांझी, डॉ. अंजली सिंह सहित स्वास्थ्य विभाग व जन स्वास्थ्य सहयोग गनियारी का अमला उपस्थित था।   

शिविर में जनस्वास्थ्य सहयोग गनियारी के डॉक्टर पंकज तिवारी ने मरीजों की जांच करते हुए बताया कि मिर्गी रोग की पहचान हो जाने के बाद जिला चिकित्सालय से नियमित रूप से दवाई लेते रहें। उन्होंने बताया कि काउंसलर द्वारा चिन्हित रोगियों को प्रत्येक माह पेशेंट्स सपोर्ट ग्रुप मीटिंग के माध्यम से एवं होम विजिट कर फॉलोअप किया जाएगा। 

मरीजों की काउंसलिंग करते हुए एम्स के डॉक्टर मयंक, हेमंत एवं डॉ. राहुल ने मिर्गी रोग के संकेत और लक्षणों के और दवा खाने के तरीके के बारे में विस्तार से बताया। साथ ही उन्हें झटके के दौरान क्या करना चाहिए, क्या नही करना चाहिए, क्या सावधानियां रखनी चाहिए इसके बारे में पूरे शिविर के दौरान बार – बार विस्तार पूर्वक बताया। उन्होंने बताया कि जब भी किसी को मिर्गी के झटके आए तो वो घबराए नहीं बल्कि सबसे पहले आस पास के नुकीले वस्तु, पत्थर, या जिससे मरीज को चोट लग सकती है उसे हटा दे। यदि कोई मरीज पत्थर या अन्य चीजों में अपना सर पीटता है तो उसमें तकिया लगाएं और उसे करवट करके सहजता से लिटाए जिससे उनके मुंह से निकलने वाले लार बाहर की तरफ आ जाए। झटके के दौरान कई लोग जूता सुंघाना, मुंह में चम्मच डालना या प्याज सुंघाना जैसे उपाय करते हैं उन्हें ऐसा नही करना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि हमारे समाज में कई तरह की भ्रांतियां है मिर्गी से संबंधित मिथक (झूठी मान्यता या विचार) अभी भी समुदाय में मौजूद हैं। जैसे अमावस्या और पूर्णिमा के दिन ही मिर्गी के आने की मान्यता, दुर्भाग्य से मिर्गी के बारे में जागरूकता की कमी कलंक और भेदभाव में योगदान कर सकती है। यह कुछ लोगों को अपनी मिर्गी के बारे में बात करने में असहज भी कर सकता है, यह कोई जादू टोना नहीं, इस मिर्गी रोग को सही इलाज के साथ ठीक किया जा सकता है

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