एकेएस के प्राध्यापक इंजी.मनीष कुशवाहा एवं डॉ.आर.एल.एस.सिकरवार का सराहनीय लेखन कार्य।
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ग्रामीण भारत की नई दिशा, डिजिटल इंडिया 2.0 से हो रहा बहुआयामी विकास, हिंदी लेख “कृषि दर्पण” हिंदी मासिक में मिला स्थान।
सतना। सोमवार। ग्रामीण भारत की नई दिशा, डिजिटल इंडिया 2.0 से हो रहा बहुआयामी विकास, हिंदी लेख “कृषि दर्पण” हिंदी मासिक में इन्हें स्थान मिला है। एकेएस के प्राध्यापक इंजी.मनीष कुशवाहा और डॉ. आर.एल.एस.सिकरवार का यह सराहनीय लेखन कार्य है। ग्रामीण भारत की नई दिशा, डिजिटल इंडिया 2.0 से हो रहा बहुआयामी विकास,पत्रिका, खंड 05, अंक 03, अगस्त 2025,पृष्ठ 28-30 में प्रकाशित लेख में उन्होंने बताया कि भारत सरकार द्वारा प्रारंभ की गई डिजिटल इंडिया 2.0 पहल ग्रामीण भारत में तकनीकी क्रांति लेकर आ रही है। इस योजना का उद्देश्य गाँवों को डिजिटल रूप से सशक्त, आत्मनिर्भर और विकासोन्मुख बनाना है। पहले जहाँ इंटरनेट और डिजिटल सेवाएँ केवल शहरों तक सीमित थीं, अब हाई-स्पीड इंटरनेट, मोबाइल कनेक्टिविटी, डिजिटल शिक्षा, ई-स्वास्थ्य सेवाएँ, ऑनलाइन बैंकिंग और ई-कॉमर्स जैसी सुविधाएँ गाँव-गाँव तक पहुँच रही हैं। डिजिटल इंडिया 2.0 के तहत ई-गवर्नेंस सेवाएँ सुलभ और पारदर्शी हुई हैं। ग्रामीण अब अपने घर बैठे भूमि अभिलेख, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र, पेंशन आवेदन, बिजली बिल भुगतान आदि सेवाएँ प्राप्त कर सकते हैं। सीधे डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से लाभार्थियों के खातों में सहायता राशि पहुँच रही है, जिससे भ्रष्टाचार और बिचौलियों की भूमिका में भारी कमी आई है। शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में भी उल्लेखनीय सुधार देखने को मिल रहे हैं। ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म जैसे दीक्षा और स्वयं के माध्यम से ग्रामीण विद्यार्थियों को गुणवत्ता-युक्त शिक्षा मिल रही है, वहीं टेलीमेडिसिन और आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता के ज़रिए ग्रामीण लोग विशेषज्ञ डॉक्टरों से वीडियो कॉल पर परामर्श प्राप्त कर रहे हैं। इससे समय और धन दोनों की बचत हो रही है। योजना ने ग्रामीण युवाओं के लिए रोज़गार के नए अवसर खोले हैं। अब वे डिजिटल मार्केटिंग, डिज़ाइनिंग, ई-कॉमर्स और वर्क-फ्रॉम-होम जैसी गतिविधियों में भाग ले रहे हैं। अमेज़न, फ्लिपकार्ट और इंडियामार्ट जैसे प्लेटफ़ॉर्म पर किसान और कारीगर अपने उत्पाद सीधे बेचकर बेहतर मूल्य प्राप्त कर रहे हैं। महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में भी डिजिटल इंडिया 2.0 ने नई राह दिखाई है। पहले जो महिलाएँ केवल घरेलू कार्यों तक सीमित थीं, वे अब डिजिटल प्रशिक्षण प्राप्त कर व्हाट्सएप बिजनेस फेसबुक मार्केटप्लेस और अन्य प्लेटफ़ॉर्म पर अपना कारोबार चला रही हैं। इससे न केवल उनकी आर्थिक स्थिति मज़बूत हुई है बल्कि वे अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा भी बन रही हैं। इस प्रकार डिजिटल इंडिया 2.0 ग्रामीण भारत को शिक्षा, स्वास्थ्य, शासन, रोज़गार और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में नई पहचान दे रहा है। वास्तव में, “जहाँ गाँव डिजिटल बनेंगे, वहीं से भारत आत्मनिर्भर बनेगा” — यह नारा अब हकीकत में बदल रहा है। विश्वविद्यालय प्रबंधन ने उन्हें शुभकामनाएं एवं बधाई दी है।
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