बच्चों द्वारा विविध कलाओं के प्रदर्शन के साथ चित्रकूट में सम्पन्न हुआ व्यक्तित्व विकास शिविरशिविर में 126 ग्राम आबादियों के 222 बच्चों का हुआ एक साथ प्रदर्शनभारत की प्रकृति, संस्कृति एवं गौरव की रक्षा हेतु बच्चों ने प्रस्तुत किये कार्यक्रमविभिन्न स्तरों के बच्चों ने एक साथ रहकर व्यक्तित्व विकास के विविध आयामों को हंसते-खेलते सहजता और सरलता से सीखा समझा
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चित्रकूट– दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा विगत 25 साल से चित्रकूट में प्रतिवर्ष आयोजित हो रहे व्यक्तित्व विकास शिविरों के माध्यम से ग्रामीण अंचल के बालक-बालिकाओं में मानवीय, सामाजिक और वैज्ञानिक गुण विकसित कर उनकी प्रतिभाओं को निखारने का सराहनीय काम किया जा रहा है। बच्चों के व्यक्तित्व का सर्वागीण विकास करने की दृष्टि से गुरूकुल संकुल में दिनांक 18 अप्रैल से 3 मई 2025 तक व्यक्तित्व विकास शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश के 9 जिलों एवं चित्रकूट की 50 कि0मी0 परिधि के 126 ग्राम पंचायतों से 222 बालक-बालिकाओं ने शिविर में सम्मिलित होकर संगीत (गायन-वादन-नृत्य), डम्बल, लेजिम, चित्रकला, कम्प्यूटर, घोष, मेंहदी, रंगोली आदि का प्रशिक्षण प्राप्त किया ।

शिविर का समापन शनिवार को दीक्षांत समारोह एवं दीनदयाल परिसर में बच्चों की कलाओं के प्रदर्शन के साथ हुआ। शिविर का उद्घाटन 18 अप्रैल को हुआ था, जिसमें कक्षा 5 से लेकर 9 तक के 10 से 15 वर्ष की आयु के बच्चे सहभागी रहे।

शिविर का समापन कार्यक्रम में महंत रामजी दास सन्तोषी अखाड़ा, महंत दिव्यजीवन दास जी महाराज दिगम्बर अनी अखाड़ा, महामंडलेश्वर रामनरेश दास जी, डॉ भरत मिश्रा कुलगुरु महात्मा गॉंधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय चित्रकूट, अशोक जाटव अध्यक्ष जिला पंचायत चित्रकूट, पंकज अग्रवाल अध्यक्ष कोऑपरेटिव बैंक बाँदा- चित्रकूट, सुश्री साधना पटेल अध्यक्ष नगर पंचायत चित्रकूट, श्री चन्द्रिका प्रसाद उपाध्याय पूर्व राज्यमंत्री उ0प्र0 शासन ने दीप प्रज्वलन एवं पुष्पार्चन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

शिविराधिकारी केके बाजपेयी द्वारा शिविर आख्या का वाचन किया गया। जिसमें उन्होंने बताया कि ग्रामीण बालक बालिकाओं के समग्र व्यक्तित्व विकास की दृष्टि से प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले व्यक्तित्व विकास शिविरों की शुरुआत भारत रत्न राष्ट्रऋषि नानाजी के मार्गदर्शन में वर्ष 2001 में हुई। चित्रकूट क्षेत्र में नई पीढ़ी को गढ़ने का यह 25वाॅ अभिनव आयोजन है। इन शिविरों का प्रभाव देखने को भी मिल रहा है कि आज गाॅव – गाॅव में प्रशिक्षण देने और ग्राम स्तर पर बाल शिविरों को आयोजित करने के लिये अच्छी संख्या में ग्रामीण बालक बालिका तैयार हो रहे है। इस वर्ष शिविर में 130 बालक व 92 बालिकाएं कुल 222 बालक-बालिकायें 126 आबादियों से यहाॅ पहुॅचे है, जिन्हे 10 गणों में विभाजित किया गया।
इस अवसर पर सन्तोषी अखाड़ा के महंत राम जी दास ने अपने आशीर्वचनों में कहा कि कोई भी देश अपनी संस्कृति, सभ्यता एवं संस्कारों को खोकर महान नही बन सकता है, हमारी सँस्कृति में हम प्रत्येक बालिका में देवी और बालक में राम को देखते हैं नदियों को माता के रूप में पूजते हैं। किसी भी देश का निर्माण केवल पत्थर एएवं मिट्टी से नही होता बल्कि उसमें रहने वाले जनमानस के समर्पण की भावना से होता है। विभिन्न ग्राम आबादियों से इस पन्द्रह दिवसीय व्यक्तित्व विकास शिविर में आप सबने जो सीखा है उसे अपने जीवन मे उतार कर अन्य कम से कम अपने जैसे 5 लोगों को गुणी बनाएंगे तभी शिविर की सच्ची सफलता होगी क्योंकि यदि एक एक दीप भी सभी मिलकर प्रज्वलित करेंगे तभी अंधकार मिट पायेगा।

जिला पंचायत चित्रकूट के अध्यक्ष अशोक जाटव ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम बच्चों को ध्येय एवं कर्तब्यनिष्ठ बनाते हैं। देश एवं समाज मे कुछ ऐसे लोग भी हैं जो यह कहते हैं कि संघ क्या करता है तो उन्हें आज यहाँ आकर देखना चाहिए कि संघ क्या करता है और क्या सिखाता है। ऐसे शिविर बच्चों में त्याग, समर्पण, संस्कार, अनुशासन एवं कर्मपथ पर चलना सिखाते है। उन्हें राष्ट्र निर्माण का वाहक बनाते है अर्थात समर्पण की भावना ही सर्वश्रेष्ठ है इसका निर्माण करते है जिससे उनमें वसुधैव कुटुम्बकम की भावना को जागृत कर समाज एवं राष्ट्रनिर्माण में संलग्न करना है।
शिविर में विभिन्न ग्रामों, नगरों और विभिन्न सामाजिक आर्थिक स्तरों के बालक बालिकाओं ने एक साथ रहकर सह जीवन का अभ्यास किया। शिविरार्थियों ने व्यक्तित्व विकास के विविध आयामों को हॅसते खेलते सहजता और सरलता से सीखा और समझा है। प्रातः प्रार्थना के कालांश में एकात्मता स्त्रोत में वर्णित नदियों, पहाड़ों, धार्मिक स्थलों एवं महापुरुषों, वैज्ञानिकों के बारे मे बताया गया। शिविर में शारीरिक एवं बौद्धिक कार्यक्रमों के साथ-साथ अलग-अलग प्रकार के 9 विषयों पर व्यवहारिक प्रशिक्षण शिविरार्थियों ने अलग-अलग समूहों में रहकर प्राप्त किया। शिविर में गतिविधियों के अंतर्गत संगीत( ढ़ोलक, तबला, हारमोनियम ) नृत्य, मेंहदी, चित्रकला, घोष, कम्प्यूटर का प्रशिक्षण प्राप्त किया। शिविर के प्रातः कालीन विचार कणिका व बौद्धिक सत्र में स्वामी विवेकानन्द, पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होल्कर, बाबा साहब भीमराव अम्बेड़कर, सरदार बल्लभ भाई पटेल, सुभाषचन्द्र बोस, महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी महाराज, वीरांगना दुर्गावती, डा0 ए.पी.जे. अब्दुल कलाम व महर्षि बाल्मीकि, गोस्वामी तुलसीदास जी, पं0 दीनदयाल उपाध्याय, भारत रत्न राष्ट्रऋषि नानाजी एवं बौद्धिक विषयों में शिविर की आवश्यकता एवं महत्व, हमारा समाज एवं नागरिक कर्तव्य, चित्रकूट का पौराणिक महत्व, पर्यावरण का जीवन में महत्व, छात्र जीवन एवं अनुशासन, पोषण एवं स्वास्थ्य, आयुर्वेदिक औषधियों का जीवन में महत्व, वर्तमान समय में राष्ट्र के समक्ष आ रहे संकट में स्वयं की भूमिका, सनातन सभ्यता का परिचय एवं सेवा कार्य का महत्व आदि विषयों में विशेषज्ञों द्वारा ज्ञानवर्धन कराया गया। शारीरिक प्रशिक्षण में डम्बल, योगचाप, व्यायाम योग, दण्ड योग, नियुद्ध, घोष का प्रशिक्षण प्रदान किया गया। रात्रिकालीन कार्यक्रम में मनोरंजन सत्र में बालक बालिकाओं की उत्साहपूर्ण सहभागिता देखने को मिली। शिविर के दौरान गण गीत व कक्ष सज्जा जैसी विभिन्न प्रतियोगितायें सम्पन्न करायी गयी साथ ही शिविरार्थी छात्र/छात्राओं को कामदगिरि परिक्रमा, रामदर्शन एवं दीनदयाल शोध संस्थान के प्रकल्पों का भ्रमण कराया गया। शिविरार्थियों द्वारा शिविर में दिये गये प्रशिक्षणों का प्रदर्शन किया गया ।

शारीरिक प्रदर्शनों से कार्यक्रम की शुरूआत हुई। अलग-अलग समूहों में शारीरिक प्रशिक्षक राधेश्याम बाघमारे के नेतृत्व में लेजिम, योगासन, डम्वल, पिरामिड की आकर्षक प्रस्तुतियों ने सभी को प्रभावित किया। गीत की धुन पर योगचाप का प्रदर्शन तथा विद्या, आयु, प्रज्ञा, या, बल की बृद्धि के लिये सामूहिक सूर्य नमस्कार के साथ ताल से ताल, कदम से कदम, स्वर से स्वर मिलाकर सभी बच्चों ने डम्बल का प्रदर्शन किया।
मंचीय सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सर्वप्रथम गणेश वंदना की प्रस्तुति हुई। समापन समारोह के भव्य मंच से सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भारत की विविधताओं वाली एकात्म संस्कृति का दर्शन उपस्थित जनसमुदाय ने किया। इन सभी के बीच तबला, हारमोनियम एवं ढ़ोलक वादन की प्रस्तुतियां अनोखे ढंग से हुई। भारत की प्रकृति, संस्कृति एवं गौरव की रक्षा हेतु विभिन्न गीत भी बच्चों द्वारा प्रस्तुत किये गये। समापन अवसर पर शिविर के प्रशिक्षकों को अतिथियों द्वारा सम्मानित भी किया गया। मेंहदी, रंगोली एवं चित्रकला प्रशिक्षण के अन्तर्गत शिविरार्थी बच्चों द्वारा तैयार की गई सामग्री की प्रदर्शनी भी लगाई गई।

समापन के उपरांत दीक्षांत सत्र में शिविरार्थियों की जिज्ञासाओं का समाधान किया गया। इस सत्र में शिविरार्थियों ने अच्छा नागरिक बनने के लिये 6 सूत्रीय शपथ ली। इस दौरान दीनदयाल शोध संस्थान के राष्ट्रीय संगठन सचिव अभय महाजन ने कहा कि आप अपने अंदर विद्यमान क्षमताओं का आकलन कर अपने अंदर आत्मविश्वास जागृत करिए और नेतृत्व की क्षमता का विकास करिए। आप सभी जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में बेहतर बने, उन्नति के शिखर पर पहुंचे ऐसी आप सभी के लिए शुभकामनाएं एवं आप सबके द्वारा प्रस्तुत की गई शानदार प्रस्तुतियों के लिए बहुत-बहुत बधाई।
कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन शिविर संयोजक कालिका प्रसाद श्रीवास्तव ने किया तो वहीं कार्यक्रम का सफल संचालन प्रकाश प्रजापति ने किया। इस दौरान दीनदयाल शोध संस्थान के राष्ट्रीय संगठन सचिव अभय महाजन, कोषाध्यक्ष वसंत पंडित, समाजसेवी वी के सिंह, महंत भास्कर दास, सोमेश जी डिप्टी कलेक्टर सतना, श्रीमती विनीता शिवहरे, गिरीश अग्रवाल, प्रबल राव श्रीवास्तव, अनिल जायसवाल उप महाप्रबंधक दीनदयाल शोध संस्थान एवं विभिन्न प्रकल्पों के प्रकल्प प्रमुख, कार्यकर्ता, नगर के गणमान्य नागरिक व मातृशक्ति उपस्थित रही।

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