July 14, 2025

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पत्थलगांव में फिर दर्दनाक हादसा—जगह वही, लापरवाही वही; बायपास की मांग अब जन-सुरक्षा की मांग बनी

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नशे में धुत ट्रक चालक ने व्यवसायी की कार को मारी भीषण टक्कर, विक्की अग्रवाल बाल-बाल बचे

शुक्रवार रात करीब 10 बजे, पत्थलगांव नगर के प्रतिष्ठित व्यवसायी गणेश प्रसाद अग्रवाल के सुपुत्र विकास (विक्की) अग्रवाल अपने वाहन से घर लौट रहे थे। जैसे ही वे गोपाला सुपर बाजार के सामने पहुंचे, पीछे से तेज रफ्तार और नशे में धुत एक ट्रक (CG15 DZ 3506) ने उनकी गाड़ी को जबरदस्त टक्कर मार दी।

टक्कर इतनी जोरदार थी कि कार लगभग 50 मीटर तक घसीटती हुई आगे निकल गई। गनीमत रही कि विक्की अग्रवाल को किसी प्रकार की गंभीर चोट नहीं आई—परंतु यह केवल सौभाग्य था, व्यवस्था की सतर्कता नहीं।


घटनास्थल पर भीड़ का आक्रोश, ट्रक चालक को तत्काल पकड़ा गया

दुर्घटना की सूचना मिलते ही विकास अग्रवाल के भाई मौसम अग्रवाल तुरंत मौके पर पहुंचे और ट्रक चालक को पकड़कर पुलिस को सूचित किया। घटनास्थल पर भारी भीड़ इकट्ठा हो गई और लोगों ने स्थायी समाधान—बायपास सड़क निर्माण की मांग को लेकर नाराजगी व्यक्त की।


वही स्थान, एक और हादसा—अब और कितनी जानें जाएंगी?

यह वही स्थान है जहां कुछ माह पूर्व एक 9 वर्षीय मासूम बच्ची की सड़क दुर्घटना में मौत हो चुकी है। उसके बावजूद कोई स्थायी समाधान नहीं निकलना इस बात का प्रमाण है कि सड़क सुरक्षा और शहरी ट्रैफिक को लेकर प्रशासन अब भी गंभीर नहीं हुआ है।

पत्थलगांव को बायपास चाहिए—अब यह मांग नहीं, आवश्यकता है

नगर की सड़कों से हर दिन गुजरते भारी ट्रक, आमजनों के लिए मौत का खतरा बनते जा रहे हैं। पत्थलगांव जैसे बढ़ते हुए कस्बे में सघन ट्रैफिक, संकरी सड़कें और लापरवाह वाहन चालकों का मेल हर दिन नई दुर्घटना को जन्म दे रहा है।

बायपास सड़क अब केवल विकास परियोजना नहीं, यह एक जन-सुरक्षा प्राथमिकता है, जिसे टाला नहीं जा सकता।

बायपास निर्माण के लाभ

  • भारी ट्रकों की शहर से बाहर निकासी
  • नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित
  • स्कूली बच्चों व बुज़ुर्गों के लिए सुलभ आवागमन
  • व्यापारिक गतिविधियों को राहत
  • प्रदूषण और ट्रैफिक से राहत



नगर के बीच से भारी ट्रकों की आवाजाही अब असहनीय; शासन को चाहिए ठोस निर्णय

पत्थलगांव की संकरी सड़कों और बढ़ते ट्रैफिक को देखते हुए बायपास निर्माण अब विलंबित निर्णय नहीं हो सकता। यह सीधे-सीधे नगरवासियों की सुरक्षा, सुविधा और स्वास्थ्य से जुड़ा मुद्दा है।

आज की घटना ने यह सिद्ध कर दिया है कि

👉नगर की आंतरिक सड़कें भारी वाहनों के लिए नहीं हैं

👉और नशे में धुत या लापरवाह ड्राइवरों से आम जनता का हर दिन टकराना तय हो गया है


👉यदि पत्थलगांव में बायपास सड़क होती, तो शायद यह दुर्घटना नहीं होती।


जनता की मांग: बायपास निर्माण की तिथि घोषित हो

स्थानीय नागरिकों और समाजिक संगठनों ने सरकार से आग्रह नहीं, प्रत्यक्ष मांग की है कि—

“पत्थलगांव के लिए बायपास निर्माण की DPR (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार कर स्वीकृति दी जाए। भूमि अधिग्रहण, बजट और निर्माण कार्य की समय-सीमा घोषित की जाए।”


108 एम्बुलेंस सेवा—आपातकाल में भी असहाय साबित

दुर्घटना के बाद जब मौके पर मौजूद लोग 108 एम्बुलेंस सेवा को कॉल कर रहे थे, तो या तो कॉल नहीं लग रही थी या सेवा उपलब्ध नहीं थी। ऐसी स्थितियों में 108 का गैर-उत्तरदायी होना, व्यवस्था की एक और बड़ी विफलता को दर्शाता है।

“जहां एक तरफ प्रशासन सुरक्षा और चिकित्सा के दावे करता है, वहीं ज़मीनी सच्चाई यह है कि आपातकालीन सेवाएं खुद संकटग्रस्त हैं।”


निष्कर्ष

इस घटना ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि पत्थलगांव नगर में बिना बायपास और समय पर मेडिकल सहायता के, नागरिक हर दिन एक नई आशंका के साथ जीते हैं।
अब प्रशासन को दृष्टिकोण नहीं, निर्णय बदलने होंगे। पत्थलगांव को बायपास चाहिए—और वह भी अभी।

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