एकेएस विश्वविद्यालय का तकनीकी सहयोग ओडिशा के प्राचीन गुफा मंदिर संरक्षण में ।
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बाफलीमाली बॉक्साइट पहाड़ियों। में होगा कार्य।
सतना। बुधवार। 9 जुलाई। ओडिशा के पूर्वी तट पर स्थित बाफलीमाली बॉक्साइट पहाड़ियों में अनेक प्राचीन गुफाएं स्थित हैं, जो न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि सांस्कृतिक आस्था का भी केंद्र हैं। समुद्र तल से लगभग 1000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इन गुफाओं का धार्मिक और पारंपरिक महत्व भी है। प्रतिवर्ष मकर संक्रांति के दिन हजारों की संख्या में स्थानीय आदिवासी इन गुफाओं में पूजा-अर्चना करने आते हैं। खान प्रबंधन द्वारा उन्हें आवश्यक सहायता भी प्रदान की जाती है।
हालांकि, इन प्राचीन गुफाओं को खनन गतिविधियों के कारण क्षति पहुंचने की संभावना बनी रहती है। इसी संदर्भ में एकेएस विश्वविद्यालय, सतना के खनन विभाग द्वारा वर्ष 2022 से इन गुफाओं की जियोटेक्निकल स्टडी की जा रही है, जिससे इस धरोहर के संरक्षण हेतु उपयुक्त तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान किया जा सके। एकेएस विश्वविद्यालय ने खनन से हो सकने वाले संभावित नुकसान को कम करने के लिए विभिन्न तकनीकी पहलुओं पर अध्ययन करते हुए खान प्रबंधन को जरूरी सुझाव दिए हैं। यह क्षेत्र चार महीने भारी वर्षा के संपर्क में रहता है, जिससे पहाड़ियों की स्थिरता और गुफाओं की संरचना पर असर पड़ता है। ऐसी जटिल भौगोलिक परिस्थितियों में गुफा संरक्षण एक बड़ी चुनौती है, जिसे विश्वविद्यालय तकनीकी सहयोग के माध्यम से सुलझाने में जुटा हुआ है। उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व, वर्ष 2014 में मैहर स्थित मां शारदा देवी मंदिर की भूतत्विक जांच भी ए.के.एस. विश्वविद्यालय द्वारा की गई थी, जिसे मंदिर प्रशासन ने सराहा था। विश्वविद्यालय का यह योगदान धार्मिक धरोहरों के संरक्षण में उसकी वैज्ञानिक और सामाजिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है। विश्वविद्यालय प्रबंधन ने इस कार्य की मुक्त कंठ से प्रशंसा की है।
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