कांग्रेस के निशाने पर आरोग्य धाम, चित्रकूट के विकास कार्यों पर खड़े किए सवाल
1 min read
एक पवित्र तीर्थ की आत्मा को कुचला जा रहा है – भ्रष्टाचार, निजीकरण और लूट की खुली कहानी
*मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया विभाग के अध्यक्ष मुकेश नायक ने कहा*
चित्रकूट – जहां भगवान श्रीराम ने अपने वनवास के 11 वर्ष बिताए,आज वही भूमि त्राहिमाम पुकार रही है। मां मंदाकिनी कराह रही हैं, और प्रशासन मूकदर्शक बना बैठा है।
चित्रकूट की पवित्र धरा पर हो रहे भ्रष्टाचार, निजीकरण और सांस्कृतिक विनाश को लेकर गहरा आक्रोश व्यक्त करते हैं। एक ओर तो सरकार रामराज्य की बात करती है, दूसरी ओर उन्हीं के नाम पर बनी संस्थाएं आज भ्रष्टाचार और अराजकता की जीती-जागती मिसाल बन चुकी हैं।
प्रमुख खुलासे – तथ्य जो सच्चाई को बयां करते हैं:
1. नमामि गंगे के नाम पर योजनागत लूट
भारत सरकार द्वारा मंदाकिनी नदी के पुनरुद्धार हेतु 37 करोड़ रुपये की योजना पास की गई थी। योजना का उद्देश्य था – गंदे नालों को मंदाकिनी में गिरने से रोकना, नदी के बहाव को संरक्षित करना और घाटों का पुनर्निर्माण। परंतु इसका क्रियान्वयन इतना शर्मनाक रहा कि केवल एक निजी संस्था की जमीन को सीमेंटेड कर के 20 करोड़ खर्च कर दिए गए। बाकी नदी की स्थिति जस की तस, बल्कि और भी बदतर।
2.धर्म की आड़ में अय्याशी के अड्डे
सांस्कृतिक, सामाजिक,विचारों से निर्मित सामुदायिक भवन , जिसे जनकल्याण के लिए जनता को समर्पित किया जाना था, उसे एक निजी होटल “पंचवटी” में बदल दिया गया है। आज वह स्थान नशा और अव्यवस्था का केन्द्र बन गया है। यह नानाजी की विचारधारा का सरासर अपमान है।
3. आरोग्य धाम बना ‘आरोग्य ध्वंस’
रतन टाटा के ट्रस्ट से प्राप्त करोड़ों की धनराशि से निर्मित “आरोग्य धाम”, जो आदिवासियों और ग्रामीणों को सस्ती व आयुर्वेदिक चिकित्सा उपलब्ध कराने हेतु था – आज वह भी निजी हाथों में होटल बन चुका है। इससे स्पष्ट होता है कि जनकल्याण का हर प्रयास, निजी मुनाफे की भेंट चढ़ाया जा रहा है।
यह सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि एक साजिश है – ग्राम स्वराज के मॉडल को खत्म करने की, ताकि सब कुछ निजी हाथों में सौंपा जा सके।
मंदाकिनी – जीवन रेखा या नाली?
आज मंदाकिनी नदी में चित्रकूट का गंदा पानी गिराया जा रहा है। सियाराम कुटी जैसे धार्मिक स्थलों से निकलने वाला सीवेज बिना शुद्धिकरण के सीधे नदी में गिराया जा रहा है। नदी का प्रवाह क्षेत्र रोक दिया गया है, कैचमेंट एरिया पर निर्माण हो चुका है। जो नदी कभी साधु-संतों की तपोभूमि थी, वह अब गंदगी का अड्डा बन चुकी है।
उद्योगपतियों व सांसदों का सहयोग भी लूटा गया
“महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय
विश्वविद्यालय को देश के बड़े नेताओं और उद्योगपतियों ने जनकल्याण हेतु करोड़ों की संपत्ति दान दी थी। परंतु आज वह जमीन अवैध रूप से कब्जाई जा रही है।ग्रामीण विकास संस्थान आज ‘राजनैतिक और प्रशासनिक तंत्र की दलाली’ में तब्दील हो चुका है।
हमारी मांगें – नहीं तो उग्र जन आंदोलन तय है
1. नमामि गंगे योजना की सीबीआई जांच करवाई जाए।
2. सभी निजीकरण की गई संपत्तियों को जनहित में पुनः अधिग्रहित किया जाए।
3. मंदाकिनी के गंदे नालों को तत्काल रोका जाए और शुद्धिकरण प्लांट चालू हो।
4. ग्रामोदय विश्वविद्यालय की जमीन पर हो रहे कब्जे को रोका जाए।
5. रतन टाटा ट्रस्ट, राज्यसभा निधि और केंद्र अनुदान से हुए कार्यों की वित्तीय जांच हो।
हमारा संकल्प – यह सिर्फ आंदोलन नहीं, यह ‘आत्मा की पुकार’ है
यदि यह लूट बंद नहीं हुई, यदि मां मंदाकिनी को नहीं बचाया गया, तो हम चित्रकूट से लेकर दिल्ली तक का जनजागरण अभियान चलाएंगे। यह लड़ाई सिर्फ एक नदी की नहीं, यह लड़ाई भारत की अस्मिता, उसकी संस्कृति, उसकी आत्मा को बचाने की है।
About The Author
















