मानसून ने 8 दिन पहले दी दस्तक: 16 साल में पहली बार इतनी जल्दी आया; भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी
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मानसून ने आज 24 मई को केरल में दस्तक दे दी है। इस बार मानसून अपने निर्धारित समय (1 जून) से पूरे 8 दिन पहले पहुंचा है, जिसने मौसम वैज्ञानिकों को भी चौंका दिया है।
मौसम विभाग (IMD) के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 16 सालों में यह पहली बार है जब मानसून इतनी जल्दी देश के दक्षिणी तट पर पहुंचा है। इससे पहले 2009 में भी मानसून 30 मई को केरल पहुंच गया था।
देश भर में मानसून का सफर
केरल में दस्तक देने के बाद, मानसून तेजी से आगे बढ़ रहा है। आज ही इसके तमिलनाडु और कर्नाटक के कई इलाकों में पहुंचने की संभावना है।
अगले एक हफ्ते में यह देश के दक्षिणी और पूर्वोत्तर राज्यों तक पहुंच जाएगा। इतना ही नहीं, IMD का अनुमान है कि 4 जून तक यह मध्य और पूर्वी भारत तक भी पहुंच जाएगा, जिससे गर्मी से जूझ रहे लाखों लोगों को राहत मिलेगी।
भयंकर गर्मी और भारी बारिश का डबल अलर्ट
मानसून के आने के साथ ही मौसम विभाग ने 24 मई के लिए दोहरे रेड अलर्ट जारी किए हैं। एक ओर गुजरात, गोवा, महाराष्ट्र, कर्नाटक और केरल के तटीय इलाकों में भारी बारिश की चेतावनी है, जो अगले सात दिनों तक जारी रह सकती है। वहीं, दूसरी ओर देश के कुल 28 राज्यों में आंधी-बारिश का अलर्ट जारी किया गया है।
इसके विपरीत, राजस्थान के पश्चिमी हिस्से में 27 मई तक भीषण गर्मी और गर्म हवाओं (लू) का रेड अलर्ट है। जैसलमेर में शुक्रवार को अधिकतम तापमान 48 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था, जिसमें आज और बढ़ोतरी की आशंका है।
इतिहास के पन्ने: कब-कब आया मानसून?
IMD के आंकड़ों पर गौर करें तो, पिछले 150 सालों में मानसून के केरल पहुंचने की तारीखों में काफी विविधता रही है। 1918 में मानसून सबसे पहले 11 मई को पहुंच गया था, जो एक रिकॉर्ड है।
वहीं, 1972 में यह सबसे देरी से 18 जून को केरल पहुंचा था, जिसने उस साल देश के कई हिस्सों में सूखे जैसी स्थिति पैदा कर दी थी।
सामान्य से अधिक बारिश की उम्मीद
खुशखबरी यह है कि मौसम विभाग ने अप्रैल में ही भविष्यवाणी कर दी थी कि 2025 के मानसून सीजन के दौरान अल नीनो की संभावना न के बराबर है।
इसका सीधा मतलब है कि इस साल सामान्य से ज्यादा बारिश होने की पूरी उम्मीद है, जबकि कम बारिश की आशंका लगभग शून्य है।
आपको याद होगा, 2023 में अल नीनो सक्रिय था, जिसके कारण मानसून सीजन में सामान्य से 6 फीसदी कम बारिश हुई थी।
क्या होते हैं अल नीनो और ला नीना?
ये दोनों जलवायु के दो महत्वपूर्ण पैटर्न हैं जो दुनिया भर के मौसम पर असर डालते हैं:
अल नीनो: इसमें प्रशांत महासागर के सतह का तापमान 3 से 4 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाता है। इसका प्रभाव आमतौर पर हर 10 साल में दो बार देखा जाता है। अल नीनो के कारण आमतौर पर अधिक बारिश वाले क्षेत्रों में कम और कम बारिश वाले क्षेत्रों में ज्यादा बारिश होती है।
ला नीना: इसमें प्रशांत महासागर का पानी तेजी से ठंडा होता है. इसके प्रभाव से आसमान में बादल छाते हैं और अच्छी बारिश होती है।
समुद्र में जाने पर लगी रोक
मानसून को देखते हुए मौसम विभाग ने केरल के तटीय और आंतरिक क्षेत्रों में आंधी की चेतावनी दी है। मछुआरों सहित आम लोगों को एहतियाती उपाय करने की सलाह दी है। केरल, कर्नाटक और लक्षद्वीप के तटों पर 27 मई तक मछली पकड़ने के लिए समुद्र में जाने पर रोक लगा दी गई है।
*जितेन्द्र सालवी*
ब्यूरो चीफ इंदौर
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