मानवता की सेवा में 20 साल;समर्पण संस्था ने कन्यादान से लेकर गौसेवा तक की यात्रा की
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ग्वालियर की सामाजिक संस्था समर्पण ने मानवता की सेवा के 20 साल पूरे कर लिए हैं। संस्था की शुरुआत वरिष्ठ साहित्यकार संजीव जायसवाल उर्फ संजय भारतेंदु पुरस्कृत भारत सरकार व सामाजिक पत्रिका ‘सरिता’ की एक कहानी से प्रेरणा लेकर 15 अगस्त 2004 को समाजसेवी प्रदीप गुप्ता ने समर्पण संस्था की शुरुआत की। संस्था ने अंबाह मुक्तिधाम को सत्यम शिवम सुंदरम की थीम पर तैयार करने से की।संस्था ने शुरुआत में अंबाह मुक्तिधाम की साफ-सफाई और वृक्षारोपण का काम किया। फिर पोरसा और गोरमी के मुक्तिधामों के जीर्णोद्धार में सहयोग दिया। चंबल में बाढ़ पीड़ितों की मदद की। अग्नि पीड़ितों की सहायता की। गरीब परिवारों को चिकित्सा और शिक्षा के लिए आर्थिक मदद दी।समर्पण संस्था ने ‘कन्यादान महायज्ञ’ के तहत सामूहिक विवाह कार्यक्रम भी आयोजित किए। 2006 से 2011 के बीच अंबाह, पोरसा और मुरैना में कुल 180 बेटियों के विवाह कराए। 2019 से संस्था ग्वालियर के विभिन्न अस्पतालों और आश्रमों में सेवा कार्य कर रही है। कोविड काल में भी सक्रिय रही। वर्तमान में जयारोग्य अस्पताल के न्यूरोलॉजी वार्ड में रोजाना भोजन वितरण कर रही है। पिछले तीन वर्षों से लाल टिपारा मुरार, जनकताल और ढोली बुआ का पुल लश्कर में गौसेवा भी कर रही है।संस्था का मूल मंत्र है – ‘पीड़ित मानवता की सेवा ही हमारा धर्म’। यह ‘नर सेवा नारायण सेवा’ के सिद्धांत पर काम करती है।
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