धरमजयगढ़: माँ अंबे दरबार में नवरात्रि के अवसर पर उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब, चमत्कारी इतिहास बना आस्था का केंद्र
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धरमजयगढ़ – चैत्र नवरात्रि के पावन अवसर पर धरमजयगढ़ स्थित माँ अंबे दरबार और आसपास के देवी मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है। श्रद्धा और भक्ति के रंगों से सराबोर यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक बना है, बल्कि क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान का केंद्र भी।

लोक मान्यता के अनुसार, माँ अंबे ने स्वयं स्वप्न में प्रकट होकर मंदिर निर्माण का आदेश दिया था। तभी से यह मंदिर श्रद्धा, चमत्कार और भक्ति का मिलन स्थल बना हुआ है। कहा जाता है कि विशेष अनुष्ठानों के बाद माँ की प्रतिमा चमत्कारिक रूप से प्रकट हुई थी।
स्थानीय मंदिरों में भी श्रद्धा की लहर
माँ अंबे दरबार के साथ-साथ सिसिरिंगा की माँ बंजारिन मंदिर, बोरो की माँ बोरो रानी, घघरोड़ा की बैगिन डोकरी मंदिर और पूंजी पथरा माँ बंजारी मंदिर में भी भारी संख्या में श्रद्धालु दर्शन हेतु पहुँच रहे हैं। सुबह से ही मंदिर परिसरों में भजन, हवन, कन्या पूजन और भंडारा का आयोजन हो रहा है।
प्रशासन और मंदिर समितियों की सराहनीय व्यवस्था
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए मंदिर समिति और स्थानीय प्रशासन द्वारा दर्शन व्यवस्था, जलपान, सुरक्षा और चिकित्सा सेवाओं की बेहतरीन व्यवस्था की गई है। दर्शन के लिए लाईन सिस्टम, छाया और पेयजल जैसी सुविधाएं विशेष रूप से सराही जा रही हैं।
नवरात्रि: आत्मशुद्धि और आस्था का पर्व
यह पर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि जीवन के संघर्षों में माँ की कृपा का अनुभव करने का अवसर भी है। भक्त माँ अंबे के चरणों में अपनी सभी चिंताओं को अर्पित कर आशा, शक्ति और विश्वास का संचार अनुभव कर रहे हैं।
भविष्य में विस्तार की योजना
मंदिर समिति द्वारा आने वाले समय में श्रद्धालुओं के लिए धर्मशालाओं, भक्ति हॉल और सालाना धार्मिक मेलों के आयोजन की योजना बनाई जा रही है।
धरमजयगढ़ का माँ अंबे दरबार आज भी केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था की ऊर्जा से भरा एक जीवंत अनुभव है। इस नवरात्रि, यहाँ का हर कोना माँ के भक्तों की श्रद्धा से गूंज रहा है।
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