July 15, 2025

Udghosh Samay News

खबर जहां हम वहां

गौ तस्करी पर उपमुख्यमंत्री की चेतावनी बेअसर , वनांचल क्षेत्र में बेखौफ जारी गौ तस्करी का अवैध कारोबार।

1 min read
Spread the love

प्रशासन की नाकामी और सरकार की साख पर बड़ा सवाल?…


रायगढ़ | उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा के सख्त निर्देशों और कड़े कानूनों के बावजूद जिले सुदूर वनांचल क्षेत्रो में गौ तस्करी का काला कारोबार धड़ल्ले से जारी है। सरकार ने तस्करों पर नकेल कसने के लिए सात साल तक की सजा और पचास हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया है तथा जिन रास्तों से गौ तस्करी होगी उन सभी थाना प्रभारी पर भी कड़ी कार्यवाही होगी लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। पुलिस की निष्क्रियता और प्रशासन की अनदेखी से गौ तस्करी का अवैध कारोबार दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है।

मवेशी तस्करी के मुख्य केंद्र और सेफ कॉरिडोर…

जिले के सुदूर वनांचल क्षेत्र जैसे- लैलूंगा, धरमजयगढ़, छाल, हाटी, कापू में हर हफ्ते हजारों मवेशियों की अवैध तस्करी की जा रही है। लैलूंगा क्षेत्र के हांड़ीपानी, तोलमा, आमापाली, झगरपुर, गमेकेला, बरदरहा, ढोरोबीजा, टांगरजोर, टोंघोपारा सहित सीमावर्ती इलाके अंतरराज्यीय गौ तस्करी का सबसे बड़ा केंद्र बन चुके हैं। गौ तस्करों द्वारा कई गुप्त रास्तों का इस्तेमाल किया जाता है, जिनमें आमापाली, पोटीया, बगडाही, कड़ेना, मालपानी, करहिकछार, सहसपुर, कटाईपाली, बरदरहा, टोंघोपारा और तोलमा कि सड़को से होकर गुजरते है हैं। सूत्रों के मुताबिक, हर सोमवार और गुरुवार को लगने वाले बाजारों में रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक मवेशियों को ओडिशा और झारखंड की ओर पैदल हांककर ले जाया जाता है।

जिम्मेदारों की भूमिका संदिग्ध….

स्थानीय प्रशासन को इन गतिविधियों की पूरी जानकारी है, फिर भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही। ग्रामीणों का आरोप है कि स्थानीय पुलिस तस्करों को खुला संरक्षण दे रही है। जिन थाना प्रभारियों को पहले से सूचना दी जाती है, वे कार्रवाई करने के बजाय आंखें मूंद लेते हैं। कुछ पुलिस अधिकारी तो तस्करों के नेटवर्क का हिस्सा बन चुके हैं और मुनाफा कमा रहे हैं।

अमानवीयता की हदें पार….

तस्करों द्वारा मवेशियों के साथ की जा रही क्रूरता की तस्वीरें झकझोर देने वाली हैं। ये निर्दोष जानवर भूखे-प्यासे तस्करी के लिए हांके जाते हैं। मजदूरी पर हायर किए गए दिहाड़ी मजदूर 500 से 1000 रुपये लेकर इन्हें बेरहमी से पीटते हैं और दम तोड़ने तक हांकते रहते हैं। पशु क्रूरता अधिनियम की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, लेकिन स्थानीय प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है।

*प्रशासन की नाकामी और सरकार की साख पर बड़ा सवाल…

राज्य सरकार ने गौ तस्करी रोकने के लिए कठोर कानून बनाए हैं। पकड़े गए वाहनों को राजसात करने, वाहन मालिकों पर कार्रवाई करने और पुलिस की मिलीभगत पाए जाने पर सख्त एक्शन लेने का दावा किया गया था। हर जिले में नोडल अधिकारी नियुक्त कर विशेष निगरानी की बात कही गई थी। लेकिन यह सब सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गया। जब हमारी टीम ने इस मामले की गहरी पड़ताल की, तो यह स्पष्ट हुआ कि यह तस्करी सिर्फ अपराध नहीं, बल्कि एक संगठित नेटवर्क है। जब प्रशासन को तस्करों के ठिकानों और उनके रूट्स की पूरी जानकारी है, तो कार्रवाई क्यों नहीं होती? क्या सरकार के सख्त आदेशों की कोई अहमियत नहीं रह गई?

बहरहाल अब सबकी निगाहें सरकार और उच्च अधिकारियों पर टिकी हैं। क्या वे इस संगठित तस्करी के जाल को तोड़ पाएंगे, या फिर यह अपराधियों के लिए सेफ कॉरिडोर बना रहेगा? जनता जवाब मांग रही है, और अगर जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह मामला सरकार की साख पर भी बड़ा सवाल बन सकता है।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

WhatsApp