एकेएस विश्वविद्यालय को जैव विविधता संरक्षण पुरस्कार।
अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पर पुरस्कृत।
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सतना। 24 मई। शनिवार। मध्य प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड, भोपाल द्वारा नरोन्हा प्रशासनिक अकादमी भोपाल में आयोजित कार्यक्रम में एकेएस विश्वविद्यालय को सतना को जैव विविधता संरक्षण के क्षेत्र में किए गए उत्कृष्ट प्रयासों के लिए अशासकीय वर्ग में प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया। पुरस्कार मुख्य अतिथि, दिलीप अहिरवार, वन एवं पर्यावरण मंत्री, मध्य प्रदेश शासन के द्वारा प्रदान किया गया। एकेएस विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ. हर्षवर्धन एवं जैव विविधता विशेषज्ञ डॉ. राम लखन सिंह सिकरवार ने ग्रहण किया । पुरस्कार स्वरूप रुपये तीन लाख का चेक, प्रमाण पत्र तथा शील्ड प्रदान की गई। कार्यक्रम में अपर मुख्य सचिव,वन,मध्य प्रदेश शासन श्री अशोक वर्णवाल, प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख वन विभाग असीम श्रीवास्तव तथा प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं सदस्य सचिव मध्य प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड, भोपाल सुदीप सिंह उपस्थित रहे। मुख्य अतिथि अहिरवार जी ने कहा कि एकेएस विश्वविद्यालय जैव विविधता संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रहा है और आगे भी आप लोगों को यह कार्य करते रहना है।ज्ञातव्य है कि एकेएस विश्वविद्यालय ने कैंपस के अंदर जैव विविधता संरक्षण के क्षेत्र में अनेकों प्रयास किए हैं जिनके तहत औषधि उद्यान, नक्षत्र वाटिका,नवग्रह वाटिका, औषधीय एवं संगंध पौध प्रदर्शन इकाई स्थापित की गई है। बहुत बड़ी संख्या में वृक्षारोपण विगत 12 वर्षों से लगातार किया जा रहा है। डॉ. राम लखन सिंह सिकरवार द्वारा कैंपस के अंदर पाई जाने वाली वन्य जैव विविधता का डॉक्यूमेंटेशन किया गया है जिनमें 80 प्रकार के वृक्ष, 40 प्रकार की झाड़ियां, 30 प्रकार की लताएं,115 शाकीय पौधे,45 प्रकार की घासें तथा कई कंदों की प्रजातियां शामिल है। इसके अतिरिक्त 30 प्रकार के पक्षी,12 प्रकार के वन्य जीव तथा कई प्रकार की तितलियां भी पाई गई हैं। कृषि जैव विविधता संरक्षण के क्षेत्र में जेनेटिक तथा प्लांट ब्रीडिंग विभाग में अलसी, चना,गेहूं,धान,सरसों तथा लोबिया की 264 वैराइटियों के बीज,हॉर्टिकल्चर विभाग में आम,अमरूद,नींबू,लीची, अनार,आमला,बेल,जामुन, चीकू,कटहल,सपोटा आदि की 27 प्रजातियां,एग्रोनॉमी विभाग में गेहूं,धान,चना,सरसों,कोदो, कुटकी,मूंग,उड़द,अरहर,मक्का, अलसी,मसूर,तिल,सोयाबीन, तथा मटर की 80 प्रजातियां तथा पशुपालन विभाग में गाय की दो नस्लें,मुर्गी की पांच,मछली की तीन नस्लें भी संरक्षित की गई है।
इस कार्य में प्रो. सिकरवार तथा प्रो.आर.एस. त्रिपाठी का योगदान है।बोर्ड के निर्धारित प्रपत्र के अनुसार जैवविविधता की सम्पूर्ण जानकारी बोर्ड को मिली जिसे प्रथम पुरस्कार हेतु चुना गया। विश्वविद्यालय के प्रोचांसलर अनंत कुमार सोनी, कुलपति प्रो.बी.ए.चोपडे ने पुरस्कार मिलने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए बधाई दी है।
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