*चार महीने की अथक मेहनत के बाद ‘अम्मा’ को उनका परिवार मिल गया*
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छोटी सी आशा श्वेता मिश्रा :-आज का दिन मेरे लिए बेहद खास और भावुक करने वाला है। चार महीनों की लगातार कोशिशों के बाद मुझे आखिरकार सफलता मिली है। मैं जिस महिला की बात कर रही हूँ, वे ‘अम्मा’ के नाम से जानी जाती थीं, जिनका वास्तविक नाम गीता देवी है। वे फुटपाथ पर जीवन बिता रही थीं और मानसिक स्थिति भी ठीक नहीं थी। वे लगभग चार महीने पहले अपने घर, जो बिहार के सहरसा ज़िले में है, से भटक गई थीं।
जब मेरी पहली मुलाक़ात अम्मा से हुई, तो मैं उनकी बातों को समझ नहीं पाती थी, लेकिन धीरे-धीरे संवाद बनता गया और मैंने उनके घर के बारे में जानने की कोशिश शुरू की। मैं उनके खाने, कपड़ों और बाकी ज़रूरतों का ध्यान रखती थी। वहीं फुटपाथ पर रहने वाले अन्य लोग भी ‘अम्मा’ की मदद करते थे।
धीरे-धीरे मुझे पता चला कि उनका नाम गीता देवी है और वे बिहार के सहरसा ज़िले से हैं। इसके बाद मैंने कई जगह संपर्क किया, लेकिन कोई जानकारी नहीं मिली। अंततः मैंने सोशल मीडिया का सहारा लिया और अम्मा की जानकारी वहाँ साझा की। सौभाग्य से उस पोस्ट को एक भैया ने देखा और तुरंत मुझसे संपर्क किया।
इसके बाद उनके गाँव सरपंच से बात हुई, और बातचीत के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि अम्मा सहरसा ज़िले के पास एक गांव की रहने वाली हैं। कुछ ही समय में परिवार से बात हो गई और आज, दिनांक 31 मई 2025 को अम्मा के घरवाले गोरखपुर पहुंचे और उन्हें साथ लेकर वापस बिहार रवाना हो गए।
उनके बेटे ने बताया कि वे दो महीनों से लगातार अपनी मां की तलाश कर रहे थे, बहुत परेशान रहे, काफी पैसा खर्च किया, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। वे लगभग हार मान चुके थे, जब अचानक एक दिन गोरखपुर से मेरा कॉल गया और उन्हें बताया गया कि उनकी मां सुरक्षित हैं।
जो खुशी मुझे आज मिली है, उसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है। मैं बस यही कहना चाहती हूँ कि अगर आपको भी कभी कोई इस तरह मदद की ज़रूरत में मिले, तो आगे बढ़कर ज़रूर मदद करें। क्योंकि किसी मां को उसका परिवार दिलाने से बड़ा कोई पुण्य नहीं हो सकता।
जिला संवाददाता मोहम्मद अली की खास रिपोर्ट

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