पत्थलगांव – विवाद के बाद झुके अनुरंजन भगत, मुख्यमंत्री और अधिकारियों से सार्वजनिक माफी……
1 min read

स्थान: पालीडीह, पत्थलगांव | तारीख: 3 मई 2025 ।
पालीडीह में भारत मुक्ती मोर्चा के कार्यक्रम में दिए गए विवादित बयान से मचा था राजनीतिक भूचाल
भारत मुक्ती मोर्चा के नेता अनुरंजन भगत ने 3 मई को पत्थलगांव के पालीडीह गांव में आयोजित एक जनसभा में विवादास्पद भाषण दिया था, जिसमें उन्होंने जशपुर जिले के प्रशासनिक अधिकारियों को थप्पड़ मारने की धमकी दी और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के प्रति अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया। उन्होंने कोरबा से लोहरदगा रेल लाइन के सर्वे का विरोध करते हुए आक्रामक तेवर अपनाए थे, जिससे राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में हलचल मच गई थी।
वीडियो जारी कर मांगी माफ़ी, स्वीकारा आत्मग्लानि
विवाद बढ़ने के बाद अनुरंजन भगत ने एक वीडियो जारी कर अपने बयान पर खेद जताया। उन्होंने कहा कि वह किसी के बहकावे में आकर मंच से इस तरह के शब्द बोल बैठे और उन्हें इसका गहरा पछतावा है। वीडियो में उन्होंने हाथ जोड़कर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री और जशपुर जिले के प्रशासनिक अधिकारियों से क्षमा याचना की। साथ ही यह भी स्वीकार किया कि उनके शब्द अनुचित थे और आगे से वह किसी भी विकास कार्य का विरोध नहीं करेंगे।
रेलवे लाइन को बताया ‘लाइफलाइन’, विकास का समर्थन किया
माफ़ीनामे में अनुरंजन भगत ने कोरबा-लोहरदगा रेलवे लाइन को जिले के विकास के लिए आवश्यक बताया और कहा कि यह परियोजना लोगों के हित में है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भविष्य में वह भारत मुक्ती मोर्चा जैसे संगठनों के ऐसे किसी भी कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे जो विकास के विरुद्ध हों।
कानून सख्त रुख अपनाएगा: जशपुर एसएसपी
इस प्रकरण पर जशपुर जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शशिमोहन सिंह ने बयान देते हुए कहा कि जिले के विकास कार्यों में बाधा उत्पन्न करने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सबको है, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि राज्य के मुख्यमंत्री या प्रशासनिक अधिकारियों पर अनर्गल और अपमानजनक टिप्पणी की जाए। इससे पहले भी एक अन्य व्यक्ति को इसी मामले में गिरफ़्तार कर जेल भेजा जा चुका है।
निष्कर्ष: बयान से माफी तक—अनुरंजन भगत की गिरती साख
अनुरंजन भगत के विवादित बयान और फिर सार्वजनिक क्षमा याचना के घटनाक्रम से यह स्पष्ट है कि राजनीतिक दबाव, सामाजिक प्रतिक्रिया और प्रशासनिक सख्ती के सामने अब वे झुक गए हैं। जहां एक ओर यह घटना नेताओं के भाषणों में संयम की ज़रूरत को रेखांकित करती है, वहीं यह प्रशासन की स्पष्ट चेतावनी भी है कि विकास में बाधा उत्पन्न करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई तय है।
About The Author
















