सारे ब्रह्माण्ड में धर्म और विज्ञान दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे
शिव महापुराण में
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आज की कथा में कथा वाचक श्री अशोक वाजपेयी जी ने बताया की जब माता पार्वती ने स्नान में जाने के पूर्व अपनी सुरक्षा के लिये श्री गणेश जी को प्रहरी की ज़िम्मेदारी देते हुये कहा था कि मेरे बिना अनुमति के किसी को मेरे कक्ष में आने मत देना,लेकिन प्रभु शिव जी जब उनके कक्ष में जाने के लिये आये तो गणेश जी ने उन्हें यह कहते हुये अन्दर जाने से मना किया कि माता पार्वती जी ने मुझे किसी को भी अन्दर नहीं आने का आदेश दिया है,तब शिव जी ने इस कृत्य को अपने विरुद्ध अभद्रता मानते हुये उनके मस्तक को काट कर दंड दिया,
लेकिन जब माता पार्वती को मालूम पड़ा तो उन्होंने अति गुस्से में नाराज होते हुये यह बताया की गणेश मेरा पुत्र है उसे मैंने जो आदेश दिया था उसका वह पालन कर रहा था,चूकि इस बात से शिव जी बेख़बर थे कि गणेश पार्वती पुत्र है,लेकिन पूरी जानकारी प्राप्त होने पर शिव जी ने गजानन की प्रार्थना पर उनका मस्तक काट कर गणेश जी के धड़ से जोड़ दिया और उसे नवजीवन प्रदान कर माता पार्वती का गुस्सा शांत किया,धड़ से मस्तक को इस जोड़ने की प्रक्रिया को विज्ञान सर्जरी का नाम देता है,
कहने का तात्पर्य यह है कि गणेश जी माता के आदेश को अपना धर्म मानते हुये अपने मस्तक को भी कटवा लिया,और शिव जी ने वैज्ञानिक पद्धति अपनाते हुये गणेश जी के धड़ में गजानन का मस्तक जोड़ कर विज्ञान के महत्व को भी सिद्ध किया,
आज के प्रसंग में वीनस परिवार और मन्दिर के सेवा दारियों ने अतिथियों कों शिव जी का शुभ दुपट्टा पहनाकर सभी का सम्मान किया,उपस्थित अतिथियों में मध्य प्रदेश शासन की राज्य मंत्री श्री मती प्रतिमा बागरी जी,महापौर श्री योगेश ताम्रकार जी,भा ज पा के कोषाध्यक्ष अनिल सचदेव जी,सतना विधायक श्री सिद्धार्थ कुशवाहा जी,प.अशोक शर्मा जी,हिन्दू पर्व समन्वय समिति से मणिकांत माहेश्वरी जी,उत्तम बनर्जी जी,रामावतार चमड़िया जी,हेमचंद जयसवाल जी,लखन केशरवानी जी,कवलजीत सिंह जी,मनमोहन माहेश्वरी जी,जितेन्द्र जैन जी,अशोक दौलतानी जी,गंगाराम वाधवानी जी,राजकुमार रोचलानी जी,संजय शाहजी,रोहित अग्रवाल जी,रीवा से पधारे गंगाराम जी,मनीष जी,गोकुल दास चुंगवानी जी,जबलपुर से पधारे अशोक चिमनानी जी,व काफी संख्या में मातृशक्ति भक्त उपस्थित थे,आरती उपरांत प्रसाद वितरण किया गया,
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